तेरी मुस्कान
तेरी मुस्कान (कुछ मुक्तक)
मापनी 16/14
तेरी ये शोख है मुस्कान चलती तेज दिल पर छूरी।
तुझे बस देखते ही रहना दिल की मेरे मजबूरी।
तुम्हें देखा तुम्हें चाहा सराहते तुम्हें ही हैं।
लबों पर थिरके तेरे खुशी आरज़ू बस यही मेरी।
तेरे रूप का जादू प्रिये सिर मेरे चढ़कर बोले।
अजब सा नशा भी छा जाए भौहें तिरछी जब डोले।
काया है कंचन सी तेरी लुभाती इस तरह मन को।
अपनी बाँकी सी चितवन से मादक मदिरा जब घोले।
कोयल छिप जाए शरमाकर बोली तेरी जब सुन ले।
अपने रक्तिम अधरों से तू शब्दों की मिश्री घोले।
मन में बजती रहतीं घंटियाँ जब तुम खुल के हँसतीं हो।
लगता ज्यूँ तारों के आँगन चाँद खिलखिला के निकले।
स्नेहलता पाण्डेय \'स्नेह\'
नई दिल्ली
19/7/21
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Aliya khan
22-Jul-2021 10:40 PM
बेहतरीन
Reply
Swati chourasia
22-Jul-2021 07:12 PM
Very nice 👌
Reply
मनोज कुमार "MJ"
22-Jul-2021 04:46 PM
Bahut khoob
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